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भारत-चीन आर्थिक संबंध (India-China Economic Relations)|यह दोनो एशियाई देश की आर्थिक ताकात इतनी बडी कैसे बनी?

नमस्ते, मैं DhanIndia का एडिटर हूँ। आज सुबह 10 बजे PIB की रिपोर्ट पढ़ी… और सोचा, ये तो बताना बनता है!

छोटा सा सार: $118 बिलियन का व्यापार, लेकिन API पर 60% निर्भरता। गलवान के बाद बैन, फिर भी BRICS में साथ। राजनीतिक लेख पढ़ें

मेरी बात: मैंने 2018 में चीन की एक फैक्ट्री देखी थी। वहाँ की स्पीड देखकर लगा था – भारत को भी यही करना होगा। लेकिन अब गलवान के बाद सोच बदल गई है।

India-China Economic Relations - व्यापार और निवेश

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – सिल्क रूट से 1962 तक

भारत और चीन के आर्थिक संबंधों की जड़ें हजारों साल पुरानी हैं — सिल्क रूट के ज़रिए व्यापारिक आदान-प्रदान होता था। स्वतंत्रता के बाद 1950 के दशक में दोनों देशों के बीच औपचारिक व्यापारिक समझौते हुए। हालाँकि, 1962 के युद्ध के बाद ये रिश्ते कमजोर पड़ गए।

“Trade and economic cooperation have always been the backbone of India-China relations, even amidst political tensions.”

वर्तमान व्यापारिक स्थिति: $118 बिलियन

2024 तक भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार लगभग $118 बिलियन तक पहुँच चुका है। भारत मुख्यतः कच्चा माल, लौह अयस्क, कॉटन आदि निर्यात करता है, जबकि चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल APIs, और केमिकल्स आयात करता है।

वर्ष भारत से निर्यात (USD अरब) चीन से आयात (USD अरब)
2015 11.9 58.2
2020 19.0 65.3
2024 21.3 96.7

मुख्य क्षेत्र

1. प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स

भारत में मोबाइल निर्माण का बड़ा हिस्सा चीनी कंपनियों जैसे Xiaomi, Vivo, Oppo पर निर्भर है। Make in India अभियान के बाद कुछ बदलाव हुए हैं, पर निर्भरता अब भी उच्च स्तर पर है।

2. इन्फ्रास्ट्रक्चर और निवेश

चीन की कंपनियाँ भारत में कई बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश कर चुकी हैं। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के कारण 2020 के बाद कई चीनी निवेशों पर रोक लगाई गई।

3. फार्मास्यूटिकल और हेल्थ सेक्टर

भारत दुनिया का “Pharmacy of the World” है, परंतु API (Active Pharmaceutical Ingredients) के लिए चीन पर 60% तक निर्भर है।

भूराजनीतिक और आर्थिक चुनौतियाँ

दोनों देशों के बीच सीमा विवाद, ट्रेड डेफिसिट और सुरक्षा चिंताएँ प्रमुख बाधाएँ हैं। गलवान घाटी की घटना (2020) के बाद दोनों देशों ने कई बार आर्थिक जवाबी कदम उठाए।

  • भारत ने 200+ चीनी मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगाया।
  • FDI नियमों में संशोधन कर चीन से निवेश पर निगरानी बढ़ाई।
  • “Atmanirbhar Bharat” के तहत वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला पर ध्यान केंद्रित किया।

भविष्य की संभावनाएँ

भारत-चीन संबंधों का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वे व्यापारिक सहयोग और राजनीतिक मतभेदों के बीच कितना संतुलन बना पाते हैं। आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच निम्न क्षेत्रों में संभावनाएँ हैं:

  • ग्रीन एनर्जी और क्लाइमेट टेक्नोलॉजी
  • हेल्थ टेक और फार्मा सहयोग
  • सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन
  • डिजिटल ट्रेड और ई-कॉमर्स

निष्कर्ष

भारत और चीन का आर्थिक रिश्ता संघर्ष और सहयोग दोनों का संगम है। जहाँ एक ओर दोनों देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहे हैं, वहीं सीमित विश्वास और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा उनके रिश्तों को जटिल बनाती है। आने वाले दशक में संतुलित साझेदारी ही इस रिश्ते का भविष्य तय करेगी।

मेरी राय?

निर्भरता कम करो, लेकिन दरवाज़ा बंद मत करो। व्यापार ज़रूरी है।

तुम पूछ रहे हो, मैं बता रहा हूँ

Q. कुल व्यापार कितना?
A. $118 बिलियन (2024)

Q. भारत क्या आयात करता है?
A. इलेक्ट्रॉनिक्स, API

Q. गलवान के बाद क्या हुआ?
A. ऐप्स बैन, FDI पर रोक


स्रोत:
Ministry of Commerce |
PIB |
WTO

लिखा: DhanIndia Team | 10 नवंबर 2025, दोपहर 12:28 बजे IST |

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