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Massive violence took place during the survey of a mosque in Sambhal, Uttar Pradesh.

भारत में ऐतिहासिक स्थल विवाद और कानूनी पहलू

1526 में बाबर के भारत आगमन के दौरान, भारत में कुछ हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया था, जिसे धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान कुछ मंदिरों को नष्ट करके मस्जिदों में बदलने का आरोप लगाया जाता है। विशेष रूप से, 1527 और 1528 में, बाबर के सेना के एक अधिकारी ने श्री हरिहर मंदिर के एक हिस्से को तोड़ा, और उसे मस्जिद में बदल दिया।

Image Source : https://youtu.be/7B-hmsMdLLo?si=9UtNghR4O51dWFsL

वर्तमान में, इस स्थान को लेकर कानूनी विवाद बढ़ गया है। एक पिटीशन में यह दावा किया गया है कि यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में आता है और भारतीय संस्कृति और इतिहास के तहत इसे संरक्षित किया जाना चाहिए। पिटीशनर्स का कहना है कि उन्हें इस स्थल तक पहुँचने का अधिकार है और ASI को इस स्थल की सुरक्षा और संरक्षण में सुधार करना चाहिए।

दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह स्थान उनके लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है और वे इसे एक धार्मिक स्थल के रूप में मानते हैं। उनका यह भी तर्क है कि भारत सरकार ने 1991 में पूजा स्थल अधिनियम (Places of Worship Act) पारित किया था, जिसके तहत 1947 के बाद किसी धार्मिक स्थल की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। मुस्लिम समुदाय का यह कहना है कि कोर्ट का कोई आदेश इस स्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है, जो साम्प्रदायिक सौहार्द्र को प्रभावित कर सकता है।

इस मुद्दे पर तनाव बढ़ने के बाद, स्थानीय प्रशासन ने कई सुरक्षा उपाय किए हैं, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर पत्थरबाजी और हिंसा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। साथ ही, इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं और स्कूलों को बंद किया गया है।

इन विवादों के बीच, भारतीय संविधान में धर्म और धार्मिक स्थल के अधिकारों के बारे में स्पष्ट निर्देश हैं। विशेष रूप से, 1991 का पूजा स्थल अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति में 1947 के बाद बदलाव नहीं किया जा सकता। यह कानून सांप्रदायिक सौहार्द्र को बनाए रखने के उद्देश्य से लागू किया गया था।

संविधान में मूल कर्तव्यों का संदर्भ
भारतीय संविधान में नागरिकों के कुछ बुनियादी कर्तव्यों को शामिल किया गया है। ये कर्तव्य भारतीय संस्कृति, समानता, और न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप हैं, और प्रत्येक नागरिक से अपेक्षित हैं। हाल के समय में इन कर्तव्यों का पालन सुनिश्चित करने के लिए कई कानूनी कदम उठाए गए हैं।


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